रत्न अथवा जेम स्टोन, ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में अत्यंत ही आवश्यक माने गए हैं क्यूंकि इनमें विशाल मात्रा में ब्रह्मांडीय ऊर्जा को संचय करने की करिश्माई क्षमता होती हैं | यदि आप सही मार्ग निर्देशन में रत्नो को धारण करते हैं तो यह समस्त समस्याओं का निवारण कर सकते हैं एवं प्रभावशाली व तीव्र गति से जीवन स्तर में सुधार प्रदान कर सकते हैं | किन्तु गलत चुनाव किसी जातक के जीवन को नारकीय भी बना सकता हैं |
यदि जातक रत्नो के माध्यम से धन, विवाह, प्रेम, करियर, शिक्षा, नौकरी, व्यापार, मित्र, संतान, परिवार, रोग आदि से सम्बंधित समस्याओं का निवारण चाहता हैं तो वह जातक ज्योतिषशास्त्र के कुशल परामर्श द्वारा अपनी समस्या के निवारण हेतु सेवा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं |
जातक की मूल समस्या का उसकी जन्म कुंडली द्वारा गहनता से विश्लेषण कर ज्योतिषशास्त्र द्वारा आपको सम्बंधित समस्या के तीव्र निदान हेतु उपयुक्त रत्न धारण का परामर्श, धारण विधि एवं आवश्यक वैदिक उपायों सहित प्रदान किया जायेगा |
रत्न परामर्श सेवा अधिग्रहित करते समय अपनी मूल समस्या का उल्लेख करना न भूलें |
क्यों धारण करते हैं रत्न?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार देखें तो हर ग्रह का संबंध किसी न किसी रत्न से होता है और वैसे ही हर रत्न का किसी न किसी ग्रह से जुड़ा होता है। जैसे सूर्य का संबंध माणिक्य रत्न से, चन्द्रमा का मोती से, बुध का पन्ना से, गुरु का पुखराज से, शुक्र का हीरा से, शनि का नीलम से, राहू का गोमेद से और केतु का लहसुनिया से।
किसी भी मनुष्य के जीवन में भाग्य परिवर्तन जन्मपत्री में ग्रहों की दशा के अनुसार आता रहता है। अशुभ ग्रहों को शुभ बनाना या फिर शुभ ग्रहों को अपने लिए और अधिक शुभ बनाने की मनुष्य की हमेशा ही चेष्टा रही है जिसके लिए वो अनेकों उपाय करता रहता है, जैसे कि मंत्रों का जाप, दान-पुण्य, स्नान, रत्न धारण, यंत्र धारण, देव-देवी दर्शन आदि। इन सब में रत्न धारण करना एक महत्वपूर्ण एवं असरदार उपाय माना जाता है। रत्न आभूषणों के रूप में शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, साथ ही अपनी दैवीय शक्ति के प्रभाव से रोगों का निवारण भी करते हैं।
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